

मध्यमवर्गीय माता पिता सामान्य रूप से यह कभी नहीं चाहते कि उनके बच्चे , विशेषत : लड़के , व्यवसायक गायक बनें या संगीत में अधिक रूचि रखें। यह मध्यमवर्गीय विचारधारा है, जो बच्चों को , डॉक्टर , इंजीनियर , आयी. ए. एस. , आदि के आलावा, अन्य किसी भूमिका में नहीं देख सकती। इस विचारधारा में संगीत की उपेक्षा कर उसे असुरक्षित क्षेत्र माना गया है।
परन्तु अभिभावकों को इस बात को समझना है कि अपने बच्चों की रूचि को दबाने से बच्चों के मन का स्वाभविक आनंद नष्ट हो जाता है। कोई युवक संगीत में रूचि रखता है और इस क्षेत्र में कुछ प्रयास करता है , तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह पैसा और कीर्ति के पीछे भाग रहा है। यह तो अंतरात्मा की इच्छा है , जिसे साकार करने का प्रयास अत्यंत स्वाभाविक तथा उचित है।
अत : अभिभावकों से निवेदन है कि विचारों में परिवर्तन लाएं। आज संगीत क्षेत्र में कई पहलू उभरे हैं और अनगिनत मौके उपलब्ध हैं। संगीत में प्रयास करके थोड़े ही समय के बाद युवक अपना परीक्षण कर सकतें हैं। इससे उन्हें असीम आत्मसम्मान और आत्मविश्वास भी प्राप्त होगा।
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